कच्चे तेल का भाव 10 महीने की ऊंचाई पर पहुंचा, क्या हैं इसके नुकसान? पढ़ें डीटेल
कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से भारत के लिए इसका क्रूड इंपोर्ट करना महंगा होगा. क्योंकि भारत अपनी जरूरतों का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. इससे आने वाले दिनों में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल महंगा कर सकती हैं.
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने टेंशन बढ़ा दी है. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड 94 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. यह कच्चे तेल का 10 महीने का सबसे ऊपरी लेवल है. साप्ताहिक आधार पर अब तक कीमत में अबतक करीब 5% की तेजी दर्ज की गई. क्रूड में यह लगातार तीसरे हफ्ते बढ़ोतरी है. इससे सरकार और केंद्रीय बैंक के महंगाई को लेकर उठाए गए कदमों पर पानी फिर सकता है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि आखिर कीमतों में तेजी क्यों है? इससे किस सेक्टर को नुकसान होगा? क्या महंगाई के मोर्चे पर झटका लग सकता है?
क्यों उछला कच्चे तेल का भाव?
क्रूड में आई तेजी के पीछे चीन के आर्थिक आंकड़े बड़ा ट्रिगर है. बता दें कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन में रिटेल बिक्री, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में उम्मीद से बेहतर ग्रोथ दर्ज की गई. अगस्त में चीन में रिटेल बिक्री 4.6% बढ़ी है. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में भी 4.5% की बढ़त रही है. इसके अलावा रिफाइनरी प्रोसेसिंग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
क्रूड में तेजी के और भी अहम पॉइंट्स हैं. OPEC, EIA का अनुमान है कि इस साल सप्लाई में भारी कमी देखने को मिल सकती है, जबकि डिमांड मजबूत रहने का अनुमान है. वहीं, सऊदी और रूस जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों ने सप्लाई कम करने का फैसला लिया है. यानी डिमांड मजबूत रहेगी लेकिन सप्लाई कमजोर. इसका असर कीमतों पर आगे भी देखने को मिलेगा.
क्रूड पर क्या है ब्रोकरेज का अनुमान?
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कच्चे तेल पर ग्लोबल ब्रोकरेज ने कहा है कि इसकी कीमत आगे भी बढ़ेंगी. BofA और ANZ की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक क्रूड का भाव इस साल के अंत तक 100 डॉलर प्रति बैरल भी जा सकता है.
महंगे क्रूड का क्या होगा असर?
कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से भारत के लिए इसका क्रूड इंपोर्ट करना महंगा होगा. क्योंकि भारत अपनी जरूरतों का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. इससे आने वाले दिनों में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल महंगा कर सकती हैं. इसके साथ ही माल ढुलाई भी महंगा होगा. नतीजतन देश में महंगाई बढ़ेगी, जोकि ओवरआल इकोनॉमी के लिए निगेटिव है.
किन सेक्टर पर पड़ेगा असर?
महंगे क्रूड का सीधा असर उन कंपनियों और सेक्टर्स पर होगा जहां इसका इस्तेमाल होता है. क्योंकि कंपनियां प्रोडक्शन या अन्य कामों के लिए रॉ मटेरियल के रूप में इसका इस्तेमाल करती हैं. इसमें पेंट कंपनियां, बैटरी बनाने वाली कंपनियां, टायर कंपनियां, FMCG कंपनियां, एविएशन कंपनियां, सीमेंट कंपनियां, लॉजिस्टिक कंपनियां, स्टील कंपनियां शामिल हैं.
महंगे क्रूड का किसे मिलेगा फायदा?
क्रूड के दाम बढ़ने से ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनियों को फायदा होगा. हालांकि, रिफाइनरी कंपनियों पर कोई असर नहीं होगा. जबकि आयल मार्केटिंग कंपनियों यानी OMCs को इसके चलते नुकसान होगा. कई आटो कंपनियां अब इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पर फोकस कर रही हैं. ऐसे मे क्रूड की कीमतें बढ़ने से उन पर असर कुछ कम होगा.
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01:34 PM IST